संस्कारवहिन शिक्षा नकली आभूषण की तरह - पंवार 


 विदाई समारोह में विद्यार्थियों को संस्कारवान बनने की दी नसीहत


भीम प्रज्ञा न्यूज़. पचेरी। एलबीएस इंटरनेशनल स्कूल पचेरी बड़ी में सीनियर विद्यार्थियों का विदाई समारोह शनिवार को आयोजित हुआ। समारोह में जूनियर विद्यार्थियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम के जरिए भरपूर मनोरंजन करवाया। नन्हे बच्चों की मनमोहक प्रस्तुतियों पर जमकर तालियां बजी। इस अवसर पर सामूहिक भोज कार्यक्रम रखा गया। जिसमें विद्यालय के सभी विद्यार्थियों ने एक साथ भोजन किया। निदेशक सुरेश जांगिड़ ने बताया कि इस कार्यक्रम के जरिए विद्यार्थियों में माई प्लेट क्लीन प्लेट के जरिए थाली में झूठे भोजन व भोजन खराब न करने  का संदेश देना था।उन्होंने कहा आजकल शादियों में जितना भोजन खाया नहीं चाहता उसे ज्यादा वेस्ट हो रहा है। इसलिए बच्चों में ऐसी संस्कार में शिक्षा के अच्छी आदत डालने की जरूरत है। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ नागरिक लीलाधर बोहरा ने की। मुख्य अतिथि साहित्यकार एडवोकेट हरेश पंवार ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा के संस्कारवहीन शिक्षा नकली आभूषणों की तरह से होती है। जो दिखने में तो अच्छी लगती है परंतु व्यवहार में जिसकी कोई कीमत नहीं। इसलिए हमेशा संस्कारित शिक्षा के साथ श्रेष्ठ नागरिक बनने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि दुनिया में वे कुछ भी बने। परंतु एक अच्छे नागरिक जरूर बने। उन्होंने विदा हो रहे विद्यार्थियों को नसीहत दी। कि वे विद्यालय की संस्कारित परंपरा को देश दुनिया में ले जाकर यह साबित करें, कि उन्होंने अच्छे विद्यालय से शिक्षा ग्रहण की हैं। उन्होंने कहां कि वर्ड विलेज ग्लोबलाइजेशन के दौर में भौतिकवादी संसाधनों की अंधानुकरण होड़ के चलते व्यक्ति संस्कारवहीन होता चला जा रहा है। जो देश के लिए बड़ा खतरा है। विद्यालय के निदेशक सुरेश जांगिड़ ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि वे बुनियादी शिक्षा की व्यवस्थित शिक्षण पद्धति की पढ़ाई पूर्ण कर कॉलेज शिक्षा की ओर अग्रसित हो रहे हैं, तो इसका मतलब यह नहीं कि वे आराम फरमाए।जबकि अब उनकी और जिम्मेदारियां बढ़ गई हैं। उन्होंने कहा कि वे जिंदगी के एक ऐसे दौर  में जटिलता के पायदान पर कदम रख चुके हैं।  यदि संभलकर कदम रखें तो बरगद बन जाओगे और जरा सी लापरवाही बरती तो खरपतवार की तरह से कुचले जाओगे। उन्होंने बच्चों से कहा कि अब उनका कैरियर डिसाइड का समय आ गया है। आप परंपरागत आदतों को छोड़कर अपने सफलतम जीवन के लिए समय निकालना शुरू कर दें तो अच्छा है। क्योंकि यही समय उनके भविष्य निधि की पूंजी तय करेगा। विद्यालय की प्रिंसिपल राधा देवी ने गुरु की महिमा तथा संस्कारित और चरित्रवान विद्यार्थी बने रहने की नसीहत दी। उन्होंने कहा कि जब देश की बेटियां संस्कारों का खजाना लेकर जब भी जिस भी घर में जाएंगी। वहां कि वीरान भूमि को सींचते हुए उस समाज को गुलजार बना देंगी। विदा होना एक परंपरा है। जिस प्रकार से बेटी अपने पिता के घर से विदा होकर ससुराल में जाती है, तो उसके पीहर पक्ष के लोग यह मन्नतें मांगते हैं कि हमारे आंगन की तुलसी जिस घर में जा रही है। उसे महकाकर गुलजार बना दे। ऐसी कामना की जाती है। वैसे ही जो विद्यार्थी यहां से पढ़कर उच्च अध्ययन हेतु आज विदा हो रहे हैं। निश्चित रूप से वे यहां की खुशबू, यहां की महक से समाज व राष्ट्र को गौरवान्वित करेंगे। इन्हीं उम्मीदों के साथ यह स्नेही विदाई पार्टी का संस्कारित संगम संजोने की परंपरा सार्थकता होगी। कार्यक्रम का संचालन रामसिंह तूंदवाल ने किया। इस मौके पर संदीप कानोडिया, अतुल, भीम सिंह आदि ने विचार व्यक्त किए।