भीम प्रज्ञा न्यूज़ नागौर।
नागौर जिले की पांचौड़ी थाना की क्षेत्र के करणु गांव में 16 फरवरी के दर्दनाक पेचकस कांड की वायरल तस्वीरों के दर्द शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता परंतु क्रूरता की हदों को पार करने वाले इस दृश्य से मानवता ज़रूर शर्मसार हुई है। क्रूरता की ये इंतिहा है व तस्वीरें विचलित करती है। मन असहनीय दुख से भर-भर जाता है। पोर-पोर में असहनीय दर्द है और दिमाग़ की नशे खींची हुई। भीतर ग़ुस्सा है, क्षोभ है, हिक़ारत है।आदमी के लिए आदमी इतना वहशी कैसे हो सकता है? धर्म और जाति भारतीय समाज के लिए कोढ ही नहीं नासूर है, एक ऐसा फोड़ा जो हरदम संडाध मारता रहता है । धर्म और जाति पोषित दूषित प्रवृति ने कुछ लोगों को जन्म के साथ ही अन्याय, शोषण, घृणा, हिक़ारत, नफ़रत का अधिकार दे दिया है जिसके बल पर वे निम्न जातियों के साथ अमानवीय व्यवहार का अधिकार रख सके। क़ानून और संविधान को स्थगित करने वाले वहशी किसी भी समाज का यदि हिस्सा हो उस समाज को डूब कर मर जाना चाहिए। इस देश में धर्म और जाति ही विकृत, दूषित, घृणित मानसिकता को पोषित करने का कारख़ाना है । उफ़्फ़ हम उन वीडियो को देख नहीं पा रहे हैं पर जिन्होंने सहा है वो। देह की प्रताडना से मन को तोड़ने का सदियों से जारी ये खेल जाने कब ख़त्म होगा। लानत है हे महान देश! उस धर्म और जाति की नीचता, दुष्टता पर जिसने तुम्हारे ऊपर खून के धब्बों को किसी भी कालखण्ड में कभी सूखने नहीं दिया है।
पेचकस कांड- धर्म और जाति भारतीय समाज के लिए कोढ ही नहीं नासूर है।