हां ये हुई कोई बात, मदद के लिए बढने लगे अपनों के हाथ।

 


संपादकीय- एडवोकेट हरेश पंवार



पे बैक टू सोसाइटी के सिद्धांत के प्रतिपादक डॉ भीमराव अंबेडकर ने कहा था कि समाज ने तो हमें सब कुछ दिया है परंतु सोचो कि समाज को हम क्या दे रहे हैं। समाज हमें सुरक्षा देता है। मान सम्मान देता है, इज्जत देता है, शोहरत देता है, और तो और सामाजिक  परंपराओं और संस्कृति की धरोहर देता है। निश्चित रूप से यह जो समय चल रहा है। इस समय समाज को कुछ लौटाने की जरूरत है। सारी दुनिया मौत के डर से सहमी हुई है। यदि आप भी धन के कुंडली मारे बैठे हो तो यह आपका भ्रम है। अब तो समझना चाहिए। मानवता की भलाई के लिए कुछ अच्छे काम करने ही चाहिए एक बार इंग्लैंड के पत्रकार भारत में आजादी के बाद यहां की सामाजिक व्यवस्थाओं पर अध्ययन करने के लिए आए हुए थे देश के प्रतिष्ठित राजनेताओं के घर गए तो सब नेताओं ने  विश्राम करने का बहाना करते हुए फिर मिलने का अलग-अलग अपॉइंटमेंट दिया। ऐसे करते-करते देर रात बाबा साहेब अंबेडकर  के पास गए उस समय रात का एक बज चुका था। बाबासाहेब बोले जा रहे थे। नानकचंद रतु लिखते जा रहे थे। पत्रकार बाबा साहब के घर के दरवाजे पर पहुंचे तो अंदर से टाइपराइटर की टक-टक की आवाज आ रही थी। पत्रकारों ने आग्रह किया कि वे उनका इंटरव्यू लेना चाहते हैं। बाबा साहेब ने अपना काम रोक कर उन्हें उसी समय इंटरव्यू देने के लिए तैयार हो गए। पत्रकार बड़े खुश हुए और राहत की सांस लेते हुए पत्रकारों ने पहला सवाल किया कि अभी रात का 1:00 बज चुका है और आप देर रात जग करके काम कर रहे हैं। जबकि भारत के अन्य नेताओं के हम गए तो सब लोग सोए हुए थे। बाबा साहब ने प्रत्युत्तर में कहा उनका समाज जगा हुआ है, इसलिए वे विश्राम कर रहे होंगे। लेकिन मेरा समाज सोया पड़ा है। उसे जगाने के लिए मुझे दिन रात मेहनत करनी पड़ रही है। बाबा साहब के  जवाब को सुनकर पत्रकार दंग रह गए परंतु यहां मैं बोलूंगा तो फिर कहोगे कि बोलता है आप की जन भावनाओं का दर्पण भीम प्रज्ञा आज विषम परिस्थितियों में आपकी जन आवाज बनकर जन जागरण का काम कर रहा है। आपको जगाने और चेताने का काम कर रहा है। आप सोच रहे होंगे भला एक छोटा सा अखबार बेखबर लोगों को क्या जागृत कर सकता है। लेकिन इन विषम परिस्थितियों में भीम प्रज्ञा साप्ताहिक से दैनिक रूप में प्रकाशित होकर ढाई लाख लोगों के प्रचलन मोबाइल में जाकर अलग जगाने का काम कर रहा है और उसका सुखद परिणाम यह देखने के लिए मिल रहा है किसमाज के बहुत से सामाजिक संगठन आगे आकर मदद वाले हाथ बढ़ाने शुरू कर दिए हैं। क्योंकि कोरोना वायरस की त्रास्दी में सबसे ज्यादा व्यथित गरीब वर्ग ही हो रहा है। जिसे जगाने के लिए बाबा साहब ने अथक प्रयास किए इस वर्ग से निकलकर जो लोग सक्षम हुए हैं। हालांकि उनकी स्थिति अभी भी कोई ज्यादा ठीक नहीं हुई है। केवल रोना रोने से कोई तकदीर बदलने वालि दुनिया में नहीं इसलिए बाबा साहब ने महात्मा बुद्ध के अप्पः दीपो भवः का सारी दुनिया में संदेश मिल रहा था उसका अनुसरण करते हुए यदि तनिक भी कोई मदद वाले हाथ बढते हैं तो बहुत बड़ा योगदान राष्ट्र को मिल सकेगा। गरीब मजदूर की समस्याओं को सामने लाने का जिस तरीके से आपका अपना मीडिया काम कर रहा है। भीम प्रज्ञा कोविड-19 मीडिया हेल्पलाइन के जरिए बहुत से नवाचार किए जा रहे हैं। जिनके बारे में आप लगातार पढ रहे हैं। निश्चित रूप से यह बात साझा करते हुए अपार खुशी हो रही है कि नीमकाथाना के डॉ अंबेडकर मानव सेवा कल्याण संस्थान, मेघवंशी जागृति संस्थान, एवं सामूहिक विवाह समिति  द्वारा सराहनीय कार्य होने शुरू हुए हैं। खटीक समाज के बहुत से सामाजिक संगठनों द्वारा अपणी रसोई, अन्नपूर्णा प्रसाद अपनों की मदद में सबसे आगे हैं। इसके साथ-साथ डॉ अंबेडकर मेघवंशी संस्थान खेतड़ी ने भी अनूठी पहल शुरू की हुई है। खेतड़ी अग्रवाल समाज के संगठन और श्रीमाधोपुर के अलायंस क्लब, उदयपुरवाटी केजीआई संस्थान, जैसे संस्थान उल्लेखनीय कार्य कर रहे हैं। पचेरी के नवयुवक मंडल द्वारा नए जरूरतमंद तक राशन सामग्री पहुंचाने के साइलेंट मूवमेंट का अभियान शुरू कर रखा है। ये वे लोग हैं। ना जिक्र करते हैं ना फिक्र करते हैं इनको जहां आवश्यकता महसूस होती है वहां मदद के हाथ शीघ्र बढ़ाते हैं। चलते चलते यही कहूंगा दुनिया में लोग यूं ही आते हैं और यूं ही चले जाते हैं परंतु तिमिर के सीने को कौंदकर जो कदम रखते हैं ।इतिहास के कालमें उन्हीं के नाम लिखे जाते हैं।
   आज इतना ही बाकी कल।