संपादकीय- एडवोकेट हरेश पंवार
खुद के हिस्से का दीपक खुद ही जलाए। हो सकता है दूसरे का दीपक जलाने की बजाय उसकी झोपड़ी जला दें। ऐसे उदाहरण कई बार देखने को मिलते है।महाराष्ट्र के पाली गांव की ताजा घटना है। कोरोना वायरस के चलते देश में
लोक डाउन का दूसरा चरण चल रहा है। देश में लॉक डाउन का पालन कर रहे लोगों की इस व्यस्था को देखकर क्या आपको नहीं लगता कि देश में स्वयं अनुशासन बहुत अच्छा है? परंतु आजकल कुछ गांव में लूंड टाइप के छोरे सड़कों पर लट्ठ लेकर बैठे हैं। शंका इस बात की है कि कहीं वैमनस्यता तो नहीं बता रहे हैं यह ग्रामीणों की नाकाबंदी। जिसका दूषित दूरगामी परिणाम समाज को भुगतानना पड़ सके। कोविड-19 मीडिया टीम ने इन लोगों से सवाल पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि गांव के आवागमन रोकने के लिए वे अपने गांव की नाकाबंदी किए हुए हैं। कई जगह पर तो यह भी देखने के लिए मिला है कि गांव के यातायात के मार्गों को छड़िया डालकर या खाई खोद कर अवरुद्ध कर दिया जाए। मानव सभ्यता को संरक्षित करने के लिए लॉक डाउन एक समुचित व्यवस्था है, तो मैं इसके कतई विपक्ष में नहीं हूं। परंतु इसके बहाने उपज रहे अपराध की बिल्कुल ही ख़िलाफत करने में कोई हर्ज नहीं है? मैं बोलूंगा तो फिर कहोगे कि बोलता है। बहुत से गांव में उपद्रव करने वाले ऐसे लड़के जो अनुशासन की पालना तो कर नहीं पा रहे हैं और दूसरों को अनुशासन का पाठ पढ़ाने के लिए सड़कों पर पत्थरों का ढेर लगा कर या लकड़िया डालकर मार्ग रोके बैठे हैं। किसी भी गांव में आपातकालीन परिस्थितियां किसी भी व्यक्ति के साथ हो सकती है। ऐसी स्थिति में है जो यह रास्ते रोककर बैठे हैं उससे बड़ा नुकसान हो जाए उसके जिम्मेदार कौन है? इन बैरिकेट्स पर पुलिस के व्यक्ति यदि बैठे हो तो वे परिस्थितियों कि मूल्यांकन कर उनके समाधान कर सकते हैं । परंतु कुछ गैर जिम्मेवार व्यक्ति वेहुदेपन की नाकाबंदी करते हैं। जिससे पुलिस का सारा परिश्रम विफल होता नजर आता है। क्योंकि वे न तो मानवीय संवेदनाओं को समझते हैं और ना ही दूसरे की पीड़ा को महसूस कर सकते हैं। गांव की नाकाबंदी पर भीम प्रज्ञा कोविड-19 मीडिया टीम ऐसे ठिकानों का पता लगाया जहां गांव के लोग चौकीदारी करने की बात कर रहे थे या फिर रात को नाकाबंदी कर रहे थे आपको वे तस्वीरें तो सजा नहीं करेंगे जो दृश्य हमने देखा है। परंतु ऐसे माहौल से अलर्ट रहने की जरूरत यह भी है कि जो नाकाबंदी करे हुए लोग बैठे हैं उनको सामाजिक व्यवस्था से कम लेना देना बाकी मौज मस्ती पर ज्यादा ध्यान है। इस बहाने वे शराब पार्टियां व अन्य कार्यों में लिप्त पाए जाते हैं। भावुकता में कुछ भोले भाले युवक भी उनकी चंगुल में फंसकर नई टीम के हिस्सेदार जो बन रहे हैं ।उनके अभिभावकों से हमारा आग्रह है । कोरोना बीमारी से बचने से ज्यादा उनके बच्चे इन नाकाबंदियों के बहाने आपराधिक प्रवृत्तियों का आचरण अंगीकृत कर रहे हैं। उससे सचेत रहने की जरूरत है। धर्म के नाम पर उपद्रव करने व अन्य मिथ्क सुकूफो से बचें । अभी हाल ही में किसानों की फसलें कट चुकी हैं। किसान और पशुपालकों को चारा इत्यादि का साल भर का प्रबंधन करना है। माना कि इस समय कोरोना वायरस और लॉक डाउन के चलते सभी अव्यवस्थाएं फैली हुई हैं। सावधानी बरतते हुए उन लोगों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए प्लीज गांव के रास्तों को इस कदर बंद ना करें। जहां संक्रमण का डाउट है ।वहां सावधानी बरतनी आवश्यक है।
आज इतना ही बाकी कल