संपादकीय- एडवोकेट हरेश पंवार
राजनीति में जब अनपढ़ पटवारियों की भर्ती हो जाएं हो तो भला जमीन की पैमाइश कैसी होगी ? यह आप अनुमान लगा सकते हैं। निश्चित रूप से वह पटवारी जरीफ से ऊंट के दाबणा लगाता ही नजर आएगा। उसे क्या पता की जरीफ जमीन मापने की इकाई पैमाना है। वह तो बेल की सांकल समझकर ऐसा करता रहता है। हंस क्या रहे हो जब आपने ऊंट को जूतियां पहनाने की कोशिश की है, तो उसने जरीर से ऊंट को बांधने का प्रयास किया है तो इसमें बुरा क्या है? इसलिए दोष किसी का नहीं दोस्तों केवल दोष हमारा है। हम आंखें वाले होकर भी अंधे हो जाते हैं। बहकावे की आंधी में उडकर कुछ का कुछ कर जाते हैं। खैर कोई बात नहीं। मैं बोलूंगा तो फिर कहोगे कि बोलता है। हमारे पड़ोसी शहर में एक नेताजी ग्रामीण ठाठ बाट के थे। अपनी सदूकड़ी भाषा में पारंगत थे। वे ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं थे। पर मन के सीधे-साधे थे। एक रोज उनके परिचित जो रोडवेज विभाग में कंडक्टर लगे हुए थे। वे अपने ट्रांसफर करवाने की डिजाइन लिखवाने के लिए गए । नेताजी ने बड़े सादगी पूर्ण तरीके से यातायात परिवहन विभाग में जाकर अपने डिजायर पत्र लिखा और ट्रांसफर की जगह टर्मिनेट करवाने के लिए अड गए। संबंधित बाबूजी ने आग्रह किया कि बिना कारण किसी कर्मचारी को टर्मिनेट नहीं कर सकते। तब नेताजी बड़े जोश में आकर कहा कि मैं कह रहा हूं तो तुम कौन होते हो मना करने वाले? जब उनके निकटतम रिश्तेदार को यह पता चला कि वह अपने पद से बर्खास्त हो गए हैं तब आकर नेताजी से कहा की उनके ट्रांसफर की जगह टर्मिनेट हो गई। यह बात तो बहुत पुरानी है। परंतु कल झुंझुनू सांसद नरेंद्र खीचड़ ने जो मीडिया के सामने बयान दिया। बड़ा हास्यास्पद था। विपक्ष ने तो जमकर के ठहाके लगाए। परंतु पूरे जिले में उनके भक्त लोग ने भी दबी जुबान खुसर-पुसर की। वैसे झुंझुनू सांसद पहले भी कई बार ऐसे ही बेतुके बयान दे चुके हैं। चुनावों में भी दो पैक पियो 5 बोठ पटाओ जैसे बयान पर लोगों ने काफी तंज कैसे थे। नवलगढ़ में कोरोनावायरस से संबंधित है जानकारी के लिए पहुंचे तो मीडिया ने संदेश देने का का सवाल पूछा तो उन्होंने लॉक डाउन की जगह बार-बार डाउनलोड डाउनलोड बार बार शब्द का प्रयोग करते नजर आए। अब सवाल यह है। कोविड-19 से संबंधित जनता के बीच आई नई शब्दावली से छोटे-छोटे बच्चे भी वाकिफ हो रहे हैं। यहां तक कि गांव के अनपढ़ लोग भी इन शब्दों को समझ रहे हैं। और शिक्षित झुंझुनू जिले के सांसद महोदय को जब लोक डाउन और डाउनलोड शब्दों के अंतर का ही नहीं पता तो भला 8 विधानसभा क्षेत्र के लाखों की संख्या में निवास करने वाले इन लोगों की वेदना और संवेदनाओं को वे कैसे महसूस कर पाएंगे। झुंझुनूं जिले के सांसद महोदय ने सरकार के खजाने से पैसे सरकारी कार्मिकों खर्च करने के लेटर पैड के अलावा महज लाख रुपए के आर्थिक सहयोग से कोविड-19 की त्रासदी से जिले को राहत दिलाने में क्या योगदान दिया है। बड़ी शर्म की बात है।जनता अपने जनप्रतिनिधि से सवाल क्यों नहीं पूछती। परंतु दोस्त किसको दें ।अंधे लोगों के हाथों में लाठी देकर ढिंढोरा पीटने का काम तो इस जनता ने ही किया ।आप लोक डाउन पर हंसो यि डाउनलोड पर हंसो बाकी आपकी मर्जी।
आज इतना ही बाकी है