भीम प्रज्ञा संपादकीय- एडवोकेट हरेश पंवार
देसी कहावत है कि 'हल्द लागै नै फिटकड़ी रंग आयो चौखो' कुछ ऐसे ही दृश्य भारत में देखे जा सकते हैं। यदि मैं बोलूंगा तो फिर कहोगे कि बोलता है। मंत्रियों से लेकर सांसद व विधायकों ने अपने-अपने क्षेत्रों में जन विकास के कोटे का पैसा राहत कोष में जमा कराने के लिए जिला कलेक्टर को पत्र लिखे हैं। हाल ही में वैश्विक महामारी कोरोना के संक्रमण त्रासदी से पूरे विश्व में कहर के बादल जहां छाए हुए हैं। वहीं भारत में कोरोना वायरस कोविड-19 ने जैसे ही पांव पसारने शुरू किए देश प्रदेश में लोक डाउन की घोषणा होने के बाद लोग घरों में सुरक्षित है। वैश्विक महामारी कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए प्रदेश के सांसदों और विधायकों ने खुद की जेब से एक रूपए भी खर्च नहीं किया और दुनिया भर में वाहवाही लूट ली है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सभी जनप्रतिनिधियों, सामाजिक संगठनों, स्वयंसेवी संस्थाओं, भामाशाहों और विभिन्न संगठनों से अपील की थी, कि इस विपदा के समय आर्थिक सहयोग करें, ताकि लोगों की मदद की जा सके। इसके लिए मुख्यमंत्री सहायता कोविड-19 कोष की अलग से स्थापना भी की गई।
मुख्यमंत्री की इस अपील का असर दिखाई दिया करीब 30 करोड़ रुपए के आसपास इस कोष में जमा हो गए। लेकिन मजे की बात यह है कि सांसद और विधायकों ने अपने क्षेत्र के विकास कोष से राशि उपलब्ध कराने के लिए जिला कलेक्टर को पत्र लिखा है।
सांसद क्षेत्रीय विकास कोष और क्षेत्रीय विकास कोष में से सांसद और विधायक अपने-अपने क्षेत्रों में स्वविवेक से विकास कार्य करवाते हैं। सांसद को यह राशि केंद्र सरकार और विधायक राशि राज्य सरकार मुहैया करवाती है। कोरोना वायरस के संक्रमण से निपटने के लिए राज्य कर्मचारीयों और अधिकारियों ने अपने वेतन में से कटौती करने के लिए संबंधित विभागों के प्रमुख को पत्र लिखा है। सिविल सेवा के अधिकारियों ने तो 5 दिन का वेतन देने की घोषणा की है। कई प्रतिष्ठानों ने लाखों रुपए कोविड-19 कोष में जमा कराए हैं। लेकिन मजे की बात यह है कि नेताओं ने राजकीय कोष से ही राशि देकर सस्ती वाहवाही लूटने में कोई कसर नहीं छोड़ रहें।